वृक्षासन yoga

 वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बना है ‘वृक्ष’का अर्थ है पेड़ और आसन योगमुद्रा को दर्शाता है।इस आसन की अंतिम मुद्रा एकदम अलट होती हैं,जो वृक्ष की आकृति की लगती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।

यह बहुत हद तक ध्यानात्मक आसन है।जिसका बहुत अच्छा विवरण पुराने राजाओं के अभ्यास से मिलता है जैसे कि राजा अशोक।



वृक्षासन की विधि:–ताड़ासन में खड़े हो जाएं।

–दाएं घुटने को मोड़ें और दाएं पैर के पंजे को बाई जांघ पर जितना ऊपर हो सके टिकाएं।

–एडी ऊपर की तरफ हो और पंजे जमीन की तरफ हो।
–बाएं पैर पर सारे शरीर का वजन संतुलित करते हुए सीधे खड़े रहे।

–जब संतुलन ठीक से बन गया हो,तब बाजुओं को उपर उठाएं और सिर के सीधा उपर दोनो हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ ले।

–इसको थोड़ा आसान बनाने के लिए सामने की तरफ किसी जगह पर दृष्टि केंद्रित करें और उसे लगातार देखते रहे।

–जब इस मुद्रा में संतुलन बनने में आप निपुण हो जाए, कोशिश करें कि सिर ऊपर की ओर उठाकर दृष्टि अंगुलियों पर केंद्रित करें।

–30 से 60 सेकंड इसी मुद्रा में रहे
–सामान्य रूप से सास लेते रहे।

–आसन से बाहर निकलने के लिए सारे स्टेप विपरीत क्रम में करें।

–दूसरी ओर यह सारे स्टैप्स दोहराएं।


         

       वृक्षासन के लाभ

1.वृक्षासन घुटनों के दर्द में लाभकारी है।

2. इस आसन से एडियो का दर्द कम ही नहीं होता बल्कि एडियो का लचीलापन भी बढ़ता है।

3. पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

4. इससे गठिया का दर्द और सुन्न होने की समस्या दूर हो            जाती है।

5. इस आसन के अभ्यास से आप तनाव व चिंता को बहुत हद तक कम कर सकते हैं।

 6.छोटे बच्चों को इस आसन का अभ्यास कराने से कद बढ़ाने की संभावना बढ़ जाती है।

7. इसके नियमित अभ्यास से आप डिप्रेशन से राहत पा सकते हैं।

8. इसको विशेषज्ञ के सामने करने से नस की परेशानियों से बचा जा सकता है।

 9.यह शरीर की चर्बी को घटाने में सहायक है।

10. इसके अभ्यास से शरीर में संतुलन बढ़ता है।

 11.यह रीड की हड्डी को मजबूत करते हुए इस को स्वस्थ रखता है।

    ।। ।धन्यवाद। ।।

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